कभी किसी छोटे से पहाड़ी गांव में, एक तालाब था — जो सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं का केन्द्र था। हर सुबह जब सूरज की पहली किरण उस पानी पर पड़ती, तो ऐसा लगता मानो गांव की पूरी रौनक उसी से शुरू होती हो।
बच्चे वहीं मछलियां देखते, औरतें वहीं कपड़े धोतीं, बुजुर्ग वहीं पेड़ की छांव में बातें करते। लेकिन धीरे-धीरे वक्त बदला। नए रास्ते बने, ट्यूबवेल आए, और तालाब की मिट्टी में घास जम गई। धीरे-धीरे वो तालाब, जो कभी गांव की पहचान था, अब बस यादों में रह गया।
2025 के इस दौर में जब सोशल मीडिया पर #VillageRevival और #SaveWater जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, फिर से लोग अपने गांव के तालाबों की बात करने लगे हैं। कुछ गांवों में तो युवाओं ने खुद फावड़ा उठाया और कहा – “अब हमारा तालाब फिर से जिंदा होगा।”
💧 जब तालाब सूख गया, तो गांव का दिल भी सूख गया

हर गांव के पास एक कहानी होती है, और इस गांव की कहानी शुरू होती है उस दिन से जब तालाब पहली बार सूख गया था। बारिश देर से आई, खेत सूखे पड़े थे, और लोग पानी के लिए दूर-दूर तक जाने लगे।
बुजुर्ग कहते हैं –
“जब तालाब सूखा, तो जैसे गांव की आत्मा चली गई।”
वो जगह जहां कभी बच्चे हंसी-खुशी से नहाते थे, अब धूल उड़ाने लगी। पर फिर भी, कुछ लोगों ने उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने पंचायत से बात की, सरकारी मदद मांगी, और अपनी मेहनत से पुराने तालाब को फिर से खोदना शुरू किया।
इस पूरी प्रक्रिया में गांव के युवाओं की भूमिका सबसे अहम रही। सोशल मीडिया पर उनकी मेहनत के वीडियो वायरल हुए, और धीरे-धीरे पास के दूसरे गांव भी प्रेरित हुए।
🌿 तालाब की मरम्मत से लौटी हरियाली
कहते हैं, जब पानी लौटता है, तो ज़िंदगी भी लौट आती है। तालाब की सफाई और खुदाई के बाद जब पहली बारिश आई, तो गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।
| पहल | नतीजा |
|---|---|
| तालाब की गहराई 3 फीट बढ़ाई गई | पानी की स्टोरेज क्षमता दोगुनी हुई |
| बरसाती नालों को जोड़ा गया | पानी का प्राकृतिक पुनर्भरण शुरू हुआ |
| किनारों पर पौधारोपण | मिट्टी कटाव में 40% कमी |
| पंचायत + युवा फंड | रखरखाव के लिए स्थायी व्यवस्था |

अब खेतों में पानी की कमी नहीं रही, और भूजल स्तर भी बढ़ गया है। पहले जहां गर्मी में हैंडपंप सूख जाते थे, अब वही पानी पूरे सीजन बना रहता है।
गांव के एक युवा का कहना है –
“अब हमारे खेत फिर से हरे हैं, और बच्चों की आंखों में फिर वही चमक लौट आई है।”
🌦️ ट्रेंड क्यों बना ‘गांव के तालाब की कहानी’?
आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर “village pond cleaning” और “revive rural India” जैसे शब्द लाखों बार सर्च हुए हैं। इसका कारण है लोगों का अपनी जड़ों से फिर जुड़ने का मन।
जैसे हमने पहले “गांव की सर्दी सुबह” वाले लेख में बताया था — गांव की असली खूबसूरती तभी लौटती है जब लोग खुद अपनी मिट्टी से जुड़ते हैं।
सरकार की “अमृत सरोवर योजना” ने इस दिशा में बड़ा बदलाव लाया। कई जगहों पर इस योजना के तहत पुराने तालाबों को पुनर्जीवित किया जा रहा है। पंचायतें, NGO और स्थानीय लोग मिलकर काम कर रहे हैं।
सोचिए, जब एक छोटा गांव अपनी मेहनत से कुछ कर दिखाता है, तो वो सिर्फ एक तालाब नहीं बचाता, बल्कि एक संस्कृति को फिर से जिंदा करता है।
🧱 एक गांव की मिसाल – जहां तालाब बना ‘आशा का प्रतीक’
उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में, जहां कभी सूखा इतना था कि लोग पानी खरीदते थे, अब वही तालाब बारिश के बाद लबालब भर जाता है। बच्चे उसमें खेलते हैं, और औरतें फिर से वहीं कपड़े धोती हैं।

गांव की प्रधान कहती हैं –
“पहले लोग कहते थे तालाब बेकार है, अब वही तालाब हमारी पहचान बन गया है।”
युवाओं ने तालाब के चारों ओर पौधारोपण किया, बैठने की जगह बनाई और यहां तक कि एक छोटा सा मंच भी बनाया जहां अब हर साल गांव का मेला लगता है।
🌾 तालाब और त्योहार – गांव की संस्कृति की धड़कन
गांव का तालाब सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि हर त्योहार और परंपरा का हिस्सा है। होली हो या छठ पूजा, हर बड़ा पर्व तालाब के किनारे ही शुरू होता है।
जैसे हमने [“खेतों में बिताया एक दिन”] लेख में देखा था — मिट्टी, पानी और लोगों का रिश्ता कितना गहरा होता है। तालाब उस रिश्ते का सबसे खूबसूरत प्रतीक है।
अब हर साल जब बरसात आती है, तो लोग तालाब के किनारे पूजा करते हैं। वो मानते हैं कि पानी सिर्फ जीवन नहीं, आशीर्वाद है।
🌄 गांव का भविष्य – जब हर तालाब फिर से जिंदा होगा

आज जब शहरों में पानी के लिए झगड़े हो रहे हैं, तब गांवों की ये कहानियां उम्मीद जगाती हैं। अगर हर गांव अपने पुराने तालाब को जिंदा कर ले, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए ये सबसे बड़ा उपहार होगा।
जैसे हमने [“दादी के साथ खेत में”] वाले लेख में देखा था — हमारी पुरानी पीढ़ियां पानी का सम्मान करना जानती थीं। अब समय है कि हम भी वही सीख वापस अपनाएं।
“अगर हर बूंद की कीमत समझ ली जाए, तो कभी सूखा नहीं पड़ेगा।”
💬 आख़िरी बात: हर गांव का तालाब एक कहानी है
गांव के तालाब की कहानी सिर्फ एक जगह की नहीं, बल्कि पूरे भारत की कहानी है। जब लोग अपने तालाबों को बचाते हैं, तो वो दरअसल अपनी पहचान, अपनी मिट्टी और अपनी यादों को बचा रहे होते हैं।
मुझे लगता है कि आने वाले सालों में “गांव का तालाब” सिर्फ याद नहीं रहेगा — वो गर्व की बात बनेगा। क्योंकि मिट्टी और पानी से जुड़ा रिश्ता कभी पुराना नहीं होता।