सिर्फ 10 km, लेकिन इस सफर ने ज़िंदगी सिखा दी

वो सुबह जब बस चल पड़ा बिना किसी reason के

कभी-कभी न, दिल बस कह देता है — “चलो कहीं।”
ना कोई plan, ना कोई reason, बस ride की itch होती है।
ऐसी ही एक सुबह थी, जब मैंने bike उठाई और गाँव की तरफ चल पड़ा।

गाँव से करीब 10 km दूर एक छोटी-सी झील है। बचपन में वहाँ कई बार गया था — मछली पकड़ने, दोस्तों के साथ पानी में पत्थर फेंकने… पर इस बार कुछ अलग था। शायद मन को थोड़ा pause चाहिए था।

कुछ हफ़्ते पहले जब पहली बार पहाड़ों पर bike चलाई थी, तब भी यही महसूस हुआ था — सफर सिर्फ road पर नहीं होता, अंदर भी होता है।

शहर की भागदौड़ में हर दिन एक जैसी race चलती रहती है — deadlines, traffic, aur notifications का शोर।
लेकिन जैसे ही उस रास्ते पर पहुँचा जो खेतों से होकर झील की तरफ जाता है, लगा कि time सच में धीरे चलने लगा है।


रास्ते का हर मोड़ जैसे पुरानी यादें लौटा रहा था

वो मिट्टी की पगडंडी अब भी वैसी ही थी। खेतों में सरसों की खुशबू हवा में तैर रही थी।
हर मोड़ पर जैसे बचपन झाँक रहा था — कहीं पेड़ के नीचे खेलते हुए दिन याद आए, कहीं वो आम का पेड़ दिखा जहाँ चढ़कर आम तोड़े थे।

शहर की roads पर ये सब कहाँ मिलता है — वहाँ horn सुनाई देता है, यहाँ पक्षियों की चहचहाहट।

10 km का ये सफर छोटा ज़रूर था, पर लगा जैसे years पीछे चला गया हूँ।
कभी-कभी, सबसे छोटी distance ही सबसे लंबी यादें दे जाती है।

Soch ke dekhiye, कभी-कभी सबसे छोटी distance आपको सबसे लंबी यादें दे जाती है।


झील तक पहुँचा तो लगा – जैसे ज़िंदगी वहीं ठहर गई

झील बिल्कुल वैसी ही थी — बस पानी थोड़ा और साफ़, aur आसपास के पेड़ थोड़े और बड़े।
किनारे बैठा तो हवा इतनी शांत थी, जैसे किसी ने दुनिया का volume कम कर दिया हो।

पानी में अपनी परछाई देखी और सोचा — “कितने साल हो गए खुद को ऐसे देखने में?”
कुछ देर बस बैठा रहा। कोई phone नहीं, कोई song नहीं… बस हवा और पानी की हल्की-सी आवाज़।

ऐसा लगा जैसे झील कुछ बोल नहीं रही, पर हर silence में बहुत कुछ कह रही है।

मुझे लगा मैं शांति ढूँढने आया हूँ, पर शांति तो यहीं थी — मैं ही खुद से दूर चला गया था।


क्यों ये “छोटी झील” अब लोगों के लिए बड़ी therapy बन रही है

2025 में लोग “silent tourism” और “eco escape” को seriously लेने लगे हैं।
अब resort से ज़्यादा लोग ऐसे natural spots ढूँढ रहे हैं जहाँ noise zero और peace hundred हो।

Trend202320242025
Village & Nature Travel Searches18%29%47%
“Peaceful Lake Spots India” Queries3.2 lakh4.8 lakh7.5 lakh+
Weekend Rural Trips+15%+24%+39%

अब ये झीलें सिर्फ पानी की जगह नहीं रहीं — ये mental detox zones बन चुकी हैं।
जहाँ लोग बिना किसी doctor के, nature से therapy लेने आते हैं।


गाँव की हवा में वो simplicity जो कहीं और नहीं

झील के पास कुछ बच्चे खेल रहे थे, बुज़ुर्ग लकड़ी चुन रहे थे।
दूर से एक महिला बोली — “बेटा, चाय पी ले?”
उस एक आवाज़ में इतना अपनापन था कि दिल मुस्कुरा गया।

शहरों में लोग million followers चाहते हैं, यहाँ एक cup chai काफी है connect करने के लिए।

यही simplicity ही तो असली luxury है — जहाँ ज़िंदगी simple है, पर दिल rich है।

झील के किनारे बैठकर realize हुआ — peace expensive नहीं होता, बस accessible होना चाहिए।


जब वापसी हुई – तो मैं वही नहीं रहा

वापस लौटते वक्त वही 10 km का रास्ता अब अलग लग रहा था।
पहले जो road बस “route” थी, अब वो एक story बन चुकी थी।
हर मोड़, हर हवा का झोंका जैसे कह रहा था — peace कहीं दूर नहीं, बस दिल के अंदर है।

Bike start की, लेकिन मन नहीं था निकलने का।
पीछे मुड़कर देखा — झील वैसी ही शांत थी, जैसे कह रही हो “फिर आना।”

सच कहूँ तो, उस झील ने कुछ नहीं कहा… पर सब कुछ सिखा दिया — सुकून बाहर नहीं, अंदर मिलता है।


नतीजा – सुकून वहीं मिलता है जहाँ दिल रुक जाए

कभी-कभी शहरों की दौड़ में हम भूल जाते हैं कि असली सुकून वहीं है जहाँ सब शुरू हुआ था — अपने गाँव में, अपनी मिट्टी में, अपनी यादों में।

मेरे गाँव से 10 km दूर वो झील कोई tourist spot नहीं थी, लेकिन मेरे लिए वो दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह थी।
क्योंकि वहाँ सिर्फ पानी नहीं था — वहाँ मैं खुद था।

अगर आप भी life की भागदौड़ से थक गए हैं, तो एक बार अपने गाँव की किसी झील या नदी तक ज़रूर जाइए…
शायद वहाँ वो सुकून मिले, जो शहर के thousand likes में भी नहीं मिलता।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top