जब शहरों की सड़कों पर ट्रैफिक चिल्लाने लगता है, मोबाइल की notifications दिमाग के अंदर बजती रहती हैं, और साँस लेना भी किसी appointment जैसा लगने लगता है… तब दिल कहीं दूर, बहुत दूर भागना चाहता है। और अजीब बात ये है कि वो “दूर” कोई विदेश या पहाड़ों की बड़ी रिसॉर्ट नहीं होता… बल्कि अपना वही पुराना, शांत, मिट्टी की खुशबू वाला गांव बन जाता है।
मैंने यह बहुत करीब से महसूस किया है।
कुछ साल पहले, जब मैं burnout, stress और mental exhaustion से गुजर रहा था, तब एक सुबह मैंने अचानक फैसला लिया — “चलो गांव चलते हैं, बिना किसी प्लान, बिना होटल बुकिंग, बस अपना बैग उठाकर।” उसी सफ़र की याद मुझे आज भी सुकून देती है। और कहीं न कहीं वही पल मेरे इस पूरे गांव और Travel के जुड़ाव की शुरुआत बन गया।
असल में…
Travel सिर्फ नई जगह देखने का नाम नहीं है।
Travel वो एहसास है, जो हमें हमारी जड़ों से फिर से जोड़ देता है।
कैसे गांव आज नए Travellers की पहली पसंद बन रहा है?
कुछ साल पहले तक अगर कोई कहता था कि “मैं गांव घूमने जा रहा हूं”, तो लोग अजीब नज़रों से देखते थे।
आज जब कोई वही बात कहता है, तो जवाब आता है —
“वॉव! कितनी authentic जगह है!”
अब सोचिए… ऐसा क्या बदल गया?
सच ये है कि लोगों का दिल बदल गया है।
अब उन्हें चमक-धमक नहीं, सच्चाई चाहिए।
गांवों में उन्हें वो सब कुछ मिलता है, जो शहरों में खोता जा रहा है:
- शुद्ध हवा
- बिना ए.सी. वाली ठंडी नींद
- मिट्टी की खुशबू
- अपनापन
- और वो सुकून, जो किसी hotel room में नहीं मिलता
आज का नया traveller सिर्फ घूमने नहीं, बल्कि महसूस करने के लिए निकल रहा है। वह चाहता है कि उसका सफर Instagram story नहीं बल्कि दिल की कहानी बने।
और यही वजह है कि अब गांव + travel = एक नया ट्रेंड नहीं, बल्कि एक नया जीवन अनुभव बन गया है।
जब मैं दोबारा अपने गांव पहुंचा…
मुझे साफ याद है…
बस से उतरते ही सबसे पहले जो चीज़ महसूस हुई, वो थी — मिट्टी की खुशबू।
ना कोई perfume, ना कोई air-freshener…
बस बारिश से भीगी हुई जमीन और गाय के गोबर की हल्की महक — लेकिन अजीब तरीके से वो मन को सुकून दे रही थी।
रास्ते में वही पुराना पीपल का पेड़, वही टूटी हुई पगडंडी, और दूर से आती चिड़ियों की आवाज़… ऐसा लग रहा था जैसे बचपन फिर से सामने खड़ा हो गया हो।
वही जगह थी जिसने मुझे पहले भी सिखाया था कि ज़िंदगी की असली value क्या होती है।
जैसा कि मैंने पहले अपने लेख “गर्मियों की छुट्टियों में गाँव की ओर – मेरा अनुभव” में भी बताया था — गांव सिर्फ जगह नहीं, एक जिंदा एहसास है।
वो एहसास जो इंसान को फिर से इंसान बनाता है।
गांव और Travel का असली कनेक्शन क्या है?
अगर मैं आपसे पूछूं – Travel क्यों करते हो?
तो ज़्यादातर लोग कहेंगे:
- Stress कम करने के लिए
- Mind fresh करने के लिए
- नई जगह देखने के लिए
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गांव आपको ये सब बिना किसी expensive trip के दे सकता है?
गांव में:
- ना कोई traffic
- ना कोई deadline
- ना कोई office call
- ना कोई social pressure
बस आप और आपका वक्त।
यही वजह है कि गांव और travel का रिश्ता अंदर से बहुत गहरा होता है।
यह सिर्फ physical journey नहीं, emotional healing भी बन जाता है।
इस बात को मैंने और भी गहराई से तब महसूस किया, जब मैंने अपना एक और अनुभव शेयर किया — “जब ट्रैवल ने तनाव कम किया”।
वो सफ़र मुझे बाहर से ज्यादा अंदर से बदल गया था।
और आज गांव-travel उसी healing का सबसे प्योर रूप बन चुका है।
गांव की एक सुबह – जो किसी 5 star hotel से बेहतर होती है

शहर में सुबह alarm से होती है।
गांव में सुबह चिड़ियों के गाने से शुरू होती है।
शहर में आंख खुलते ही mobile उठता है।
गांव में आंख खुलते ही आसमान दिखता है।
और सबसे खूबसूरत चीज –
गांव की सुबह का सन्नाटा…
वो सन्नाटा जो आपको डराता नहीं, बल्कि अपनाता है।
मैं रोज़ सुबह खेत की तरफ टहलने चला जाता था। हरे-भरे पौधे, ओस की बूंदें, और दूर से आती गायों की घंटियों की आवाज़… वो सब अब भी मेरी यादों में ताजा है।
वो सब देखकर एहसास हुआ कि Real travel कभी किसी app में नहीं, बल्कि इसी सादगी में छिपा होता है।
गांव + Bike + Travel = जिंदगी का सबसे खूबसूरत अनुभव
एक दिन मैंने अपने गांव के रास्तों पर बाइक निकालने का सोचा।
helmet लगाया, बिना किसी जल्दबाज़ी के धीरे-धीरे गांव की सड़कों पर चलने लगा।
वो सड़के थोड़ी टूटी थीं, मिट्टी का रास्ता था, लेकिन दिल बहुत खुश था।
ये वही एहसास था जिसे मैंने अपने लेख “जब पहली बार पहाड़ों पर Bike चलाई – यादगार सफर जो ज़िंदगी बदल गया” में महसूस किया था।
बस फर्क इतना था —
पहाड़ों में ऊंचाई थी,
गांव में गहराई थी।
दोनों ही आत्मा तक पहुंचने वाले अनुभव थे।
आज भी मुझे लगता है कि अगर कोई इंसान खुद से मिलना चाहता है, तो उसे एक बार अकेले गांव और बाइक की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
गांव का खाना – जो दिल और शरीर दोनों को स्वस्थ करता है

अब बात करते हैं उस चीज़ की, जिसे कोई भी भूल नहीं सकता — गांव का देसी खाना।
ना fancy plating…
ना restaurant menu…
बस चूल्हे पर बना खाना और प्यार से परोसा गया निवाला।
जब मैंने मक्खन लगी रोटी, खेत से तोड़ी हुई सब्ज़ी और ठंडा छाछ पिया… तब एहसास हुआ कि असली luxury तो यही है।
ना कोई bill, ना कोई tip…
बस एक smile और “और लो बेटा” की आवाज़।
ये भोजन नहीं था,
ये care थी…
love थी…
connection था।
गांव Travel आज युवाओं का नया obsession क्यों बन रहा है?
आज की generation काफी अलग है। वो:
- Fake चीजें जल्दी पहचान लेती है
- Real experiences की कदर करती है
- Social media से ज़्यादा soulful memories चाहती है
इसीलिए उन्हें गांव-travel बहुत attract कर रहा है।
आजकल:
- लोग गांवों में homestay खोल रहे हैं
- Farm tourism popular हो रहा है
- गाँवों में digital detox trips हो रही हैं
- Content creators गांवों को explore कर रहे हैं
अब गांव सिर्फ पिछड़ा इलाका नहीं,
बल्कि new-age travel destination बन चुका है।
और honestly, मुझे लगता है कि ये बदलाव बहुत ज़रूरी था।
गांव Travel और Nature का रिश्ता
एक बार जब आप गांव जाते हैं, तो आपको नेचर को देखने का नजरिया ही बदल जाता है।
आपको हर पेड़, हर पंछी, हर छोटी नदी में एक कहानी दिखने लगती है।
यही कारण था कि मुझे धीरे-धीरे Nature Photography से प्यार हो गया, जिस पर मैंने अपना एक खास लेख भी लिखा है।
गांव और प्रकृति का रिश्ता बहुत पुराना है।
और जब कोई traveller इसे समझ जाता है, तो वह सिर्फ फोटो नहीं क्लिक करता, बल्कि हर दृश्य को दिल में कैद कर लेता है।
क्या गांव और Travel भविष्य है?
मेरी सच्ची राय पूछें तो…
“मुझे लगता है कि आने वाले समय में लोग बड़े शहरों से नहीं, बल्कि छोटे गांवों से जुड़ी कहानियों की तलाश करने लगेंगे।”
क्योंकि अब दुनिया:
- Peace चाहती है
- Nature चाहती है
- Real connection चाहती है
और वो सब गांव में आज भी मौजूद है।
गांव-travel आने वाले समय में:
- Tourism का नया चेहरा बनेगा
- युवाओं के लिए रोजगार बनेगा
- हमारी संस्कृति को नया जीवन देगा
यह सिर्फ घूमना नहीं…
यह वापस अपने असली जीवन से जुड़ना है।
Conclusion – एक सवाल जो मैं आपसे पूछना चाहता हूं

आज जब आप ये लेख पढ़ रहे हैं…
एक बार खुद से पूछिए…
क्या आप सिर्फ घूमते हैं, या सच में महसूस भी करते हैं?
क्या आपकी आत्मा शहर की है, या कहीं गांव की मिट्टी में आज भी सांस लेती है?
अगर जवाब “हां” में आए, तो समझ लीजिए —
आपका अगला travel destination कोई बड़ा शहर नहीं,
आपका अपना गांव है।
क्योंकि…
गांव और Travel – जब जुड़ते हैं, तो सिर्फ सफ़र नहीं बनता…
वो घर वापसी बन जाता है।