ग्रामीण जीवन का असली स्वाद
सुबह-सुबह जब गांव की मिट्टी से उठती वो हल्की सी सोंधी खुशबू हवा में घुलती है, तो लगता है जैसे […]
सुबह-सुबह जब गांव की मिट्टी से उठती वो हल्की सी सोंधी खुशबू हवा में घुलती है, तो लगता है जैसे […]
सुबह के करीब आठ बज रहे थे। हल्की धूप खेतों पर उतर रही थी और हवा में मिट्टी की खुशबू
🪔 बचपन की वो खुशबू, जो आज भी ज़ेहन में बसी है कभी-कभी ज़िंदगी की भागदौड़ में एक हल्की सी
कभी किसी छोटे से पहाड़ी गांव में, एक तालाब था — जो सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि लोगों की
अगर आप कभी गाँव में त्योहार के दिनों में गए हों, तो समझेंगे कि वहाँ की हवा तक अलग होती
🌅 सुबह की वो हल्की ठंडक सुबह का वक्त था, आसमान पर हल्का कुहासा फैला हुआ था। आँगन में दादी
कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ पल ऐसे आते हैं जो हमें अंदर तक हिला देते हैं — अच्छे तरीके से। पिछले
❄️ सुबह की वो ठंडी हवा, जो दिल तक उतर जाती है: सुबह के पाँच बजे होंगे। बाहर सन्नाटा था,