ये बात उस सुबह की है जब मेरी आँख alarm से नहीं, बल्कि ठंड से खुली थी। कम्बल पूरी तरह ओढ़ा हुआ था, फिर भी उंगलियों में एक अजीब-सी सिहरन थी। खिड़की के बाहर जो हल्की-हल्की रौशनी आ रही थी, वो रोज़ जैसी नहीं थी – न धूप, न कोहरा। कुछ अलग, कुछ चुप-चाप सा।
मैंने धीरे से पर्दा हटाया… और वहीं, बस वहीं, दिल ने जैसे एक second के लिए धड़कना भूल गया।
सब कुछ सफ़ेद था।
पेड़, सड़क, छतें, बिजली के तार, वो छोटी-सी गली जहाँ से रोज़ लोग गुजरते थे – आज सब एक नई दुनिया में बदल चुके थे।
Snow. पहली बार Snow.
कभी सोचा नहीं था कि जो चीज़ मैंने बस फिल्मों में देखी थी, वो एक दिन मेरी अपनी आँखों के सामने, मेरे ही शहर में, मेरे ही कमरे के बाहर होगी।
एक पल के लिए मुझे सच में लगा – या तो मैं सपना देख रहा हूँ… या फिर भगवान ने कोई extra gift दे दी है आज।
“माँ, मैंने पहली बार बर्फ देखी…”
ये शब्द मैं खुद से नहीं रोक पाया। फोन उठाया और बिना कुछ सोचे यही बोल दिया।
आजकल इंडिया में जब भी north में snowfall की खबर आती है – लोग reels बनाने लग जाते हैं, vlogs भर जाते हैं, Instagram stories सफ़ेद हो जाती हैं। शायद इसलिए भी ये topic trend कर रहा है। लेकिन जो पहली बार ये पल जीता है – वो जानता है की कैमरे से पहले दिल react करता है।
और सच बताऊँ?
Video बनाना तो बाद में आया, पहले मैं बस 10 मिनट तक खड़ा होकर देखता रहा।
वो आवाज़ जो कभी सुनी नहीं थी
Snow गिरने की आवाज़ बहुत धीमी होती है। इतनी धीमी कि आपको लगे कोई दुनिया को धीरे-धीरे चुप कर रहा है। गाड़ियाँ नहीं दिख रही थीं, लोग भी कम थे, और जो थे… वो भी बस बाहर खड़े होकर ऊपर देख रहे थे।
मेरे पड़ोस की आंटी, जो कभी रोज़ सुबह झाड़ू लगाते हुए दिखती थीं, आज बिना चप्पल के बाहर आकर अपने हाथों में बर्फ पकड़ रही थीं और हँस रही थीं – बिल्कुल बच्चे जैसी हँसी।
एक छोटा सा लड़का बर्फ उठाकर हवा में उछाल रहा था और ज़ोर से चिल्ला रहा था –
“Mummy dekho baraf… asli wali baraf!”
यहीं मुझे याद आया कि कैसे लोग nature से जुड़ने के लिए नए-नए तरीके खोज रहे हैं, और इसी वजह से आज Nature Photography इतना बड़ा ट्रेंड बन चुका है। जैसे हमने पहले “क्यों Nature Photography आज का नया ट्रेंड बन गया है” में देखा था, इंसान अब सिर्फ़ तस्वीर नहीं खींचता – वो nature को महसूस करना चाहता है।
आज मेरे साथ भी वही हो रहा था।
मैं फोटो नहीं, एहसास collect कर रहा था।

ठंड से ज्यादा जो जम गया – वो था वक्त
लोग कहते हैं “Time flies”.
लेकिन snow वाले दिन time रुक जाता है। सच में।
मैं घर से बाहर निकला। बिना सोचे, सिर्फ़ दो कपड़े पहनकर, बस चल पड़ा उस सड़क पर जो पूरी सफ़ेद चादर से ढकी थी। हर कदम पर पैर थोड़ा धसता, और अजीब-सी crunchy आवाज़ आती।
उस सफ़ेद रास्ते पर चलते हुए मुझे पहली बार पहाड़ों पर बाइक चलाने का अनुभव भी याद आ गया। तब भी हर मोड़ पर दिल तेज़ धड़क रहा था, और हर हवा का झोंका किसी नई कहानी का हिस्सा लगता था। शायद इसीलिए आज भी वो सफर मन में ताज़ा है — जब पहली बार पहाड़ों पर Bike चलाई – यादगार सफर जो ज़िंदगी बदल गया — वो सिर्फ एक राइड नहीं थी, वह खुद से मिलने का एक रास्ता बन गई थी।
वो आवाज़ आज भी मेरे दिमाग में अटकी है।
ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी foreign country में नहीं, बल्कि किसी dream sequence में चल रहा हूँ।
मुझे अचानक याद आया वो दिन जब मैंने ट्रेन से एक छोटा-सा सफर किया था, बिना किसी preparation के। तब भी सब अचानक था, सब नया था, और दिल बिल्कुल वैसा ही तेज़ धड़क रहा था — जैसा उस “जब ट्रेन से short trip किया – नया अनुभव मिला” वाले सफर में था।
शायद मैं slow travel का आदी नहीं हूँ। शायद मुझे बस ऐसे ही अनजाने रास्ते पसंद हैं, जहाँ मंज़िल पहले से लिखी नहीं होती।
और आज… मंज़िल नहीं, बस बर्फ थी।

दोस्तों के बिना भी, लेकिन उनकी याद के साथ
अजीब बात ये है कि उस दिन मैं अकेला था। मेरे साथ कोई दोस्त नहीं था, कोई gang नहीं थी, कोई hype नहीं था।
कई बार बड़ा सफर मायने नहीं रखता, कुछ किलोमीटर भी पूरी सोच बदल देते हैं। जैसे एक बार मैंने सिर्फ 10 किलोमीटर का सफर किया था, लेकिन वो जिंदगी की सबसे बड़ी सीख बन गया — सिर्फ 10 km, लेकिन इस सफर ने ज़िंदगी सिखा दी। आज बर्फ की इस खामोशी में चलकर वही एहसास फिर लौट आया कि असली सफर दूरी से नहीं, महसूस करने से पूरा होता है।
लेकिन हर बार जब बर्फ की एक मुट्ठी उठाता, दिल में वही चाह थी जो दोस्तों के साथ road trip के समय होती है – हंसी, मस्ती, पागलपन।
मुझे याद आया कैसे एक बार हम बिना ज्यादा खर्च किए बस यूँ ही निकल पड़े थे, और वो सफर हमारे सबसे मज़ेदार पलों में से एक बन गया — ठीक वैसे ही जैसा “दोस्तों के साथ road trip का मज़ा – बिना ज्यादा खर्च” में लिखा था।
आज वो लोग साथ नहीं थे, लेकिन यकीन मानो — मैं उन सबको दिमाग में उसके बारे में बता रहा था।
“देखो यार, आज तुम होते तो…”
Snow इंसान को अकेला नहीं करता, वो memories बढ़ा देता है।
वो उन लोगों को भी याद दिला देता है, जो उस वक़्त साथ नहीं हैं।
लोग, reels और reality का फर्क
सोशल मीडिया के इस दिखावे से हटकर, मुझे वो दिन भी याद आ गया जब मैं बारिश में खेतों के बीच अकेले घूमता था और बचपन फिर से जिंदा हो उठा था। मिट्टी की खुशबू, पैरों में कीचड़ और दिल में पुरानी यादें — बिलकुल वैसा ही सुकून जैसा आज बर्फ के बीच खड़े होकर महसूस हो रहा था, ठीक वैसे ही जैसे बारिश में खेतों के बीच घूमना – बचपन याद आ गया में मैंने महसूस किया था।
आजकल सोशल मीडिया में snow मतलब –
Aesthetic reel + sad song + coffee mug + gloves + caption
लेकिन reality में जब आप पहली बार बर्फ देखते हो, तो सबसे पहले जो चीज़ गिरती है वो होती है आपकी सारी planning।
ना pose याद रहता है, ना filter, ना angle…
बस आँखें बड़ी हो जाती हैं, और एक अजीब-सा सुकून उतर आता है अंदर।
लोग reels बना रहे थे, लेकिन मैं बस खामोश खड़ा होकर ऊपर देख रहा था।
और वही खामोशी आज मुझे सुकून देती है।
तब समझ आया – क्यों लोग Travel Writing शुरू करते हैं
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस पल को शब्दों में लिख पाऊँगा… लेकिन अब समझ आया कि क्यों कुछ लोग travel कर के सिर्फ आराम नहीं करते, वो उसे लिखना शुरू कर देते हैं।
Snow सिर्फ मौसम नहीं होता, वो inspiration होता है।
शायद इसी वजह से लोग पूछते हैं – Travel Writing कैसे शुरू करें – एक ऐसी दुनिया जो सफ़र से भी ज़्यादा सिखाती है
क्योंकि कुछ जगहें घूमने के लिए नहीं होतीं, वो बदले जाने के लिए होती हैं।
और मुझे लगता है, वो बर्फ वाला दिन…
मुझे अंदर से थोड़ा बदल गया।
“कुछ सफर पैरों से नहीं, सीधे सोच से जुड़े होते हैं।”
एक छोटा सच – जो कोई नहीं बताता
Snow सुंदर है, लेकिन उसके साथ एक डर भी होता है।
रास्ते फिसलते हैं
इंटरनेट चला जाता है
लोग रास्तों में फँस जाते हैं
ठंड तेजी से बढ़ती है
लेकिन शायद यही तो असली experience होता है। Perfect नहीं, लेकिन real.
और मुझे लगता है… अगर कोई पहली बार पहाड़ या snow देखने जा रहा है, तो उसे डर की जगह तैयारी रखनी चाहिए। तभी वो वहीं सुकून पाएगा जो मैंने पाया।
Snow और ज़िंदगी – दोनों बस गिरती ही नहीं, सिखाती भी हैं
अब जब उस पल को कुछ दिन बीत चुके हैं, तो समझ आ रहा है कि वो सिर्फ “snowfall” नहीं था…
वो एक reminder था कि –
Slow down
Look around
Feel the moment
Stop running
हम रोज़ जल्दी में रहते हैं, लेकिन बर्फ हमसे कहती है –
“थोड़ा ठहर जाओ…”
शायद इसलिए आज भी जब आँख बंद करता हूँ, तो वही सफ़ेद दुनिया दिखती है।
और शायद इसीलिए मैंने ये सब लिखा है।
Snow को देखने के लिए नहीं,
खुद को महसूस करने के लिए।

सच कहूँ तो अब मुझे भीड़ बिल्कुल नहीं भाती। मन चाहता है ऐसी जगहें मिलें जहाँ सिर्फ मैं, थोड़ी शांति और कुदरत हो। इसी तलाश में मैंने अपने जिले के पास कुछ ऐसी ही शांत और अनछुई जगहें भी खोजी थीं — मेरे जिले के पास के hidden picnic spots – भीड़ से दूर, सुकून के करीब — और आज इस बर्फीले सन्नाटे में खड़े होकर लगा कि शायद असली सुकून वही है, जहाँ दुनिया कम और अपनापन ज़्यादा हो।
Conclusion
अगर आप अभी तक कभी snow नहीं देख पाए हैं, तो मैं सिर्फ इतना कहूँगा:
जब भी मौका मिले – चले जाइए।
किसी luxury के लिए नहीं, किसी reel के लिए नहीं…
बस खुद के लिए।
क्योंकि जब आप पहली बार snow को छुएंगे, तब आपको समझ आएगा –
कि ज़िंदगी बस गर्मी और भागदौड़ नहीं है।
कुछ सफ़ेद पल ऐसे भी होते हैं…
जो हमेशा के लिए दिल में जम जाते हैं।
और शायद… यही असली magic है।
जब मैंने पहली बार snow देखा – सच में, वो सपना ही था…
बस फर्क इतना था कि इस बार आँखें खुली थीं। 🤍