Travel Writing कैसे शुरू करें – एक ऐसी दुनिया जो सफ़र से भी ज़्यादा सिखाती है

कभी-कभी life की सबसे simple cheezein hi सबसे ज़्यादा बदल देती हैं. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था—एक बार बस यूँ ही सफर में बैठे-बैठे खिड़की के बाहर पहाड़ों को देखते हुए मैंने सोचा, “जो मैं महसूस कर रहा हूँ, क्या इसे शब्दों में उतारा जा सकता है?” उस दिन मुझे पहली बार एहसास हुआ कि travel writing किसी किताब की तरह theoretical नहीं होती… ये तो वही लिखाई है जो इंसान अपने दिल की धड़कन सुनकर करता है.

2025 के आज के भारत में, जहाँ हर कोई कहीं न कहीं भाग रहा है, travel writing लोगों के लिए सिर्फ ‘content’ नहीं रह गई—ये escape है, therapy है, apni identity ढूँढने का तरीका है. Instagram reels से लेकर ब्लॉग्स तक, हर जगह लोग अपनी journeys को ऐसे साझा कर रहे हैं जैसे वो खुद को ढूँढ रहे हों. यही वजह है कि ये Ctopic trending है—क्योंकि हर कोई लिखना चाहता है, लेकिन शुरू कैसे करें, ये नहीं पता.

और सच कहूँ तो शुरुआत कभी तकनीक से नहीं होती… शुरुआत उस एक सवाल से होती है,
“मैं लिखना क्यों चाहता हूँ?”

Travel writing दिल से शुरू होती है, skills बाद में आते हैं

Close-up of a hand writing in a travel diary inside a train.
Close-up of a hand writing in a travel diary inside a train

Travel writing किसी formula की तरह नहीं है. किताबों में आपको structure मिल जाएगा, लेकिन असली आवाज़… वो तो आपके अंदर है. जब आप पहली बार लिखने बैठते हैं, तो शब्द perfect नहीं होते, sentences थोड़े awkward लगते हैं—लेकिन वहीं से शुरुआत होती है.

अगर आप पहली बार लिख रहे हैं, तो बस यह याद रखें कि travel writing अलग-अलग लोगों के लिए अलग मतलब रखती है:

  • किसी के लिए ये यादों को capture करने का तरीका है,
  • किसी के लिए दुनिया को देखने का एक नया नजरिया,
  • और कई लोगों के लिए identity बनाने का रास्ता.

मुझे ek बात हमेशा याद रहती है — जब आप सफ़र में होते हैं, तो हर जगह अपनी कहानी खुद आपको देती है. बस ज़रूरत है उसे पकड़ लेने की.

लोग क्या पढ़ना चाहते हैं? Destination नहीं, महसूसात

आजकल लोग सिर्फ “कहाँ जाएँ?” नहीं पढ़ते.
लोग पढ़ते हैं —
“कैसा महसूस हुआ?”

Destination तो Google Maps बता देता है.
पर उस जगह की खुशबू कौन बताएगा? उस शहर की चाल, वहाँ की रातें, सब्जी वाले की आवाज़, पहाड़ों की ठंड, chai stalls का धुआँ — ये कोई app नहीं लिख सकता.

India में अभी जो trend चल रहा है, especially Google Discover पर, वो है emotion-first storytelling.
यानी facts बाद में, feel पहले.

यही reason है कि कभी-कभी छोटे blogs भी बड़े publishers को beat कर देते हैं — क्योंकि उनके शब्दों में warmth होती है, एक raw honesty.

अगर आप अभी शुरू कर रहे हैं, तो एक चीज़ को priority दीजिए:
लिखते समय खुद को मत छुपाइए.
Aapka perspective ही आपको दूसरों से अलग करता है.

कहाँ से शुरू करें? घर के पास के छोटे सफ़र से

195 देशों की बातें बाद में होंगी, पहले वो जगह लिखिए जहाँ दिल जुड़ा हो.
बहुत से नए writers एक बड़ी trip का wait करते रहते हैं, पर सच कहूँ तो Delhi के पास कोई छोटे से गांव की सुबह भी उतनी ही magical होती है जितनी Bali का seaside.

Travel writing शान वाली जगहों का game नहीं है.
ये observation का game है.

एक बार मैंने अपने ब्लॉग पर एक छोटा सा लेख लिखा था कि कैसे पहाड़ी कस्बों में लोग सुबह-सुबह घर के बाहर बैठकर धूप सेंकते हैं. बस उतना सा write-up viral चला गया. On the other hand, मैंने एक Maldives trip पर लिखा, वो average रहा.

Point simple है —
Feel matter करती है, place नहीं.

वैसे ये बात मुझे तब और clear हुई जब मैंने छोटे सफ़र, बड़ी यादें जैसे कुछ लेख पढ़े थे (internal link), जहाँ छोटी-छोटी चीज़ें भी बड़ी कहानी बन गई थीं. उस तरह की लिखाई inspiration देती है कि travel writing “कम budget” या “luxury” का खेल नहीं, दिल का खेल है.

Experience को capture कैसे करें? Details में magic छुपा है

Travel writing में सबसे ताकतवर चीज़ होती है — छिपी हुई छोटी बातें.

  • बस स्टैंड की चाय का स्वाद
  • उन अनजान चेहरों की stories
  • रात को चलते हुए गाँव की खामोशी
  • Local दुकानदार का अंदाज़

Readers को यही पसंद आता है.

कभी सोचा है कि क्यों पुराने travel journalists की लिखाई timeless लगती है?
क्योंकि वो details में जीते थे.

एक बार मैं Uttarakhand के एक गाँव में था. एक बुजुर्ग महिला अपने घर के बाहर लकड़ी काट रही थी. मैंने उनसे पूछा, “थकान नहीं होती?”
उन्होंने मुस्कुराकर कहा, “थकान तो शहर वाले को होती है, यहाँ तो बस हम वक्त काटते हैं.”

बस यही एक sentence पूरी कहानी का soul बन गया.

यही तो travel writing है — जगह को नहीं, उसके दिल को लिखना.

कुछ लोग पूछते हैं—“हमें क्या पता चलेगा कि हम अच्छा लिख रहे हैं?”

Simple answer — जब आपकी writing किसी को कुछ महसूस करवा दे.
Travel writing का सबसे बड़ा test यही है कि पढ़ने वाला उस जगह को imagine कर पाए.

अगर आपका reader वो हवा, वो रौशनी, वो महक महसूस कर ले… तो आप लिखना सीख गए.

Blog चाहिए या सिर्फ writing काफी है?

ये doubt हर नए writer में आता है.
सच ये है कि शुरुआत blog से नहीं, लिखाई से होती है.

लेकिन अगर आप audience बनाना चाहते हैं, तो blog ज़रूरी है.
For example, मेरे एक दोस्त ने normal travel notes Instagram पर डाले. Nhưng jab usne unhe ब्लॉग में compile किया… readers double हो गए, engagement भी बेहतर हो गया.

Blog आपको एक जगह देता है जहाँ आपकी writing safe रहती है, searchable रहती है, और Google Discover जैसे platforms उसे पहचान लेते हैं.

Plus internal linking से आपके readers पुरानी लिखाई भी पढ़ने लगते हैं—जैसे कई लोग पहले दिल्ली के पास weekend getaway – मेरा experience जैसे articles से connect हुए (internal link), फिर बाकी travel pieces भी पढ़े.

Travel Writing के 3 लिखा-न-लिखे नियम

  1. Perfect मत बनो — honest बनो।
    Over-polished लिखाई से AI वाला feel आता है. Natural rhythm रखें, कभी लंबे वाक्य, कभी छोटे.
  2. हर जगह पर story ढूँढो।
    कोई भी जगह boring नहीं होती. Writer boring हो सकता है.
  3. अपनी आवाज़ पहचानो।
    अगर सब की तरह लिखोगे, तो भीड़ में खो जाओगे. अपनी tone raw रखो, personal रखो.

एक छोटी सी comparison table – Blog vs Social Travel Writing

FeatureBlog WritingSocial Media Writing
DepthHighLow–Medium
StorytellingStrongMostly visual
SEO BenefitsYesLimited
LifespanYearsHours/Days
MonetizationStrongVariable
Personal BrandVery strongMedium

इस comparison का मतलब साफ़ है—अगर आप serious हो, तो blog आपकी long-term identity है. Social media सिर्फ entry gate है, घर नहीं.

कैसे लिखें पहला travel article? एक practical तरीका

मैं आपको कोई robotic steps नहीं दूँगा — बस एक natural flow बताता हूँ, जो असल writers follow करते हैं.

1. अपनी raw यादें लिखो (बिना editing)

जैसा महसूस किया, वैसा लिखो. Grammar बाद में सुधरेगी.

2. कहानी का एक center चुनो

हर trip में एक central feel होती है — freedom, silence, thrill, nostalgia… उसी को backbone बनाओ.

3. लोगों की छोटी-छोटी बातें include करो

Human element आपका लेख ज़िंदा रखता है.

4. Feel + Facts का बैलेंस बनाओ

Place का intro दो, लेकिन उसे experience से जोड़ो.

5. Self-opinion ज़रूर जोड़ो

जैसे मैं अक्सर कहता हूँ —
“मुझे लगता है कि पहली बार travel writing करने वालों को छोटी trips से शुरुआत करनी चाहिए, क्योंकि ज़्यादा महसूस वही होता है जहाँ noise कम हो.”

Opinion से writing authentic लगती है.

ये पूरा माहौल मुझे उस जगह जैसा लगा जिसके बारे में मैंने पहले हर सफ़र कुछ सिखाता है में लिखा था. दोनों experiences अलग थे, लेकिन दोनों ने मुझे कुछ नया सिखाया.

Impact: Travel writing सिर्फ career नहीं, therapy है

इंसान जब सफ़र में निकलता है, तो अक्सर खुद से टकराता है. Writing उसे heal करती है.
कई लोग travel writing को अपने लिए एक safe space मानते हैं — जहाँ वो अपनी vulnerability लिख सकते हैं, daily stress release कर सकते हैं.

2025 में India में hustle culture बहुत तेज़ है. Travel writing कई लोगों के लिए एक pause button जैसा बन गया है.
ये सिर्फ पैसे कमाने का रास्ता नहीं, बल्कि खुद को समझने का एक तरीका है.

और शायद इसी वजह से हर दिन नए travel writers उभर रहे हैं.

अगर आप इस तरह के slow-travel moments enjoy करते हैं, तो मेरा एक और लेख यात्रा करते-करते प्यार हुआ भी पढ़ सकते हैं. उसमें भी यही personal touch और raw feel है जो travel writing को depth देता है.

Mistakes जो हर नए travel writer को avoid करनी चाहिए

  • Sirf destination facts मत लिखो (Google pe already bhara पड़ा है)
  • Copycat tone मत अपनाओ
  • हर post को perfect बनाने में time waste मत करो
  • Readers ko overload मत करो
  • Writing me personal touch हमेशा डालो

एक बार गलती मैं भी कर चुका हूँ — मैंने एक article बहुत technical तरीके से लिखा था, readers ने instantly cold response दिया. लेकिन जब मैंने अपनी personal feel शामिल की, engagement double हो गया.

Conclusion: Travel writing शुरू करना मुश्किल नहीं… शुरू करना होता है

कई लोग सोचते रहते हैं, “abhi लिखूँ या बाद में?”
लेकिन writing उसी दिन शुरू होती है, जिस दिन आप सफ़र में महसूस की हुई किसी छोटी बात को पहले शब्द में बदलने की कोशिश करते हैं.

Travel writing की खूबसूरती यह है कि इसमें कोई competition नहीं.
हर व्यक्ति अपनी दुनिया लिखता है.
आप भी लिखिए — भूल जाइए कि कौन पढ़ेगा.
पहला लेख बस खुद के लिए लिखिए.

और जब आपकी कहानी किसी reader के दिल को छू लेगी, तभी आपको समझ आएगा कि travel writing सिर्फ शब्दों का जमा नहीं… यह इंसान और दुनिया के बीच की सबसे ईमानदार बातचीत है.

और हाँ — अगर अभी भी आपको लगता है कि “मुझसे नहीं होगा,”
तो एक बार यात्रा ने तनाव कैसे कम किया जैसे लेख पढ़कर देखें (internal link).
आपको महसूस होगा कि writing हमेशा कथा नहीं मांगती — कभी-कभी बस एक एहसास ही पूरा article बन जाता है.

Travel writing शुरू करो… perfect नहीं, personal बनो.
यही आपको बाकी सब से अलग बनाएगा.

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